आप सभी जानते हैं कि मानव जन्म बहुत कीमती है और इसे प्राप्त करना बहुत कठिन है। पर यह इतना कीमती क्यों है?
यह इसलिए क्योंकि केवल मानव जीवन में ही आत्मा अनन्त आनंद प्राप्त कर सकती है। इतना ही नहीं मनुष्य उस अवस्था को भी प्राप्त कर सकता है जहाँ आनंद निरंतर बढ़ता रहता है। यह सब केवल ईश्वर की भक्ति और सेवा के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
“कलयुग” में मानव जीवन प्राप्त करने वाला और भी अधिक भाग्यशाली है। कारण यह है कि कलयुग में मानव जीवन बहुत कम है, मनुष्य की औसत आयु केवल 100 वर्ष है। इसलिए कलियुग में बहुत कम समय के लिए मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन जीना पड़ता है। इसके अतिरिक्त कलियुग में आध्यात्मिक ज्ञान और संयम प्राप्त करने से व्यक्ति भक्ति सेवा में संलग्न रहता है। इसीलिए कलियुग में मानव जीवन में जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं।
भगवान कृष्ण ने अपनी असीम कृपा से हम सभी को न केवल मानव जीवन दिया है, बल्कि कलियुग में दिया है। महान संत तुलसीदास ने यह भी कहा है कि यह मानव रूप हमें ईश्वर ने हमारे स्वयं के प्रयासों के कारण नहीं, बल्कि उनके अकारण परोपकार के कारण दिया है। इसलिए एक भी क्षण बर्बाद किए बिना हमें भगवान की भक्ति सेवा में जुट जाना चाहिए, ताकि शरीर के मरने से पहले हम अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। अब हम जीवन के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करेंगे?
श्रीमद्भगवद् गीता भगवान कृष्ण का पारलौकिक शब्द या गीत है, इसलिए इसके साथ किसी भी शास्त्र की तुलना नहीं की जा सकती। श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवतम् में यह भी कहा है कि मानव जीवन में आत्मा अपने लक्ष्य को केवल भगवद् गीता में उसके द्वारा बताए गए तरीकों से प्राप्त कर सकती है (और इस प्रकार आध्यात्मिक पूर्ति तक पहुँचती है)। उन्होंने आगे कहा है कि मानव जीवन को सफल बनाने के लिए उनके द्वारा प्रचारित लोगों के अलावा कोई अन्य तरीका नहीं है।
अतः हमारी सदैव यही कोशिश रही है की हम सभी को भगवान् भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहें। इसी क्रम में भगवद गीता के अलग अलग अंशों से हमें क्या सीख मिलती है और उसे हम जीवन में उतार कैसे अपना जीवन सफल बना सकते हैं, यह सब लेखों और ब्लॉग के माध्यम से आप तक पहुँचाने की कोशिश है। आप इन लेखों को पढ़ें तथा शेयर भी करें जिससे आप अपने मित्रों को भी भगवान् भक्ति की प्रेरणा दें।