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Bhagwad Gita is not a religious book. If human being is the creation of the almighty God as one of the life forms in Nature, Bhagwad Gita is the manual for humans to conduct themselves through their life, uttered as answers by Krishna to questions by Arjuna. And hence these philosophic words of Krishna, known as the Divine Song, contain within the eighteen chapters every aspect of conduct of life, leading to realization of the role of self (atma) in this infinite universe and the relationship of the self with the creator (paramatma).
Quoting from the Bhagwad Gita, Shri Bhupendra Tayal answers queries from Shri Veerendra Jaitley, both alumnus of IIT Kharagpur, on different aspects of modern day corporate, personal and family life, also clarifying several other queries raised by IITans who attended this Q and A session on ‘Bhagwad Gita’s Relevance in Business Management’
Krishna gives assurance that He will save us from the effects of all sinful reactions: Aham Tvam Sarva Papebhyo Mokshayishyami….
Karma yoga and Gita, is a unique gift to the whole world and to the human beings by which a creature can cause benefit to himself, his family, society and the entire world.
Karma Yoga is that secret science, which Lord Krishna has described in Srimad BhagavadGita.
भगवद्गीता व्यवहार क्षेत्र में जीवन जीने की कला सिखाती है। वह बताती है कि हम कैसे अपने जीवन को गीता के आधार पर जीयें। हम जीवन में व्यवहार कैसे करें तथा अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों में कैसे कार्य करें कि हम चिंता शोक तनाव भय व अन्य विकारों से निजात पा सकें।
इसके लिए सर्वप्रथम तो हम यह समझें कि हम कौन हैं, हमारा परिचय क्या है?
Why do most people not read or understand Bhagavad Gita? There are three main reasons for it.
First, there is very little promotion of Bhagavad Gita in society. Second, people do not..
There is one big question in Hindu Culture that comes to mind Why do we worship statue? According to our eternal Vedic Principles, devotees do not worship the statues, instead, they worship only God. That is to say that they erect a statue of their God and worship the God in that statue and thus keep remembering and meditating upon God.
The world is perishable and God is eternal. By establishing a relationship with the world one repeatedly suffers miseries whereas by building a relationship with God one remains in a state of bliss, where there is not an iota of sorrow. Dependence on the world is perishable and dependence on God is everlasting.
We have been hearing such things from saints and other great people, we also read such things in vedas and Puranas and also believe in them but even after believing such truths our miseries do not come to an end.
एक बड़ा सवाल जो सबके मन में आता होगा लोग मूर्ति पूजा क्यों करते हैं? हमारे सनातन वैदिक सिद्धान्त में भक्तलोग मूर्ति का पूजन नहीं करते, प्रत्युत परमात्मा का ही पूजन करते हैं। तात्पर्य है कि परमात्मा के लिये मूर्ति बनाकर उस मूर्ति में उस परमात्मा का पूजन करते हैं, जिससे सुगमतापूर्वक परमात्मा का ध्यान-चिन्तन होता रहे।
We all have heard about the famous quote “For every Problem there is a solution” and we just need…
भगवद् गीता एक धार्मिक पुस्तक नहीं है। यदि मानव प्रकृति में जीवन रूपों में से एक के रूप में सर्वशक्तिमान ईश्वर की रचना है, तो भगवान गीता मनुष्यों के लिए अपने जीवन के माध्यम से खुद को संचालित करने के लिए मैनुअल है, जिसे कृष्ण ने अर्जुन द्वारा सवालों के जवाब के रूप में कहा है। भगवद् गीता से उद्धृत, श्री भूपेंद्र तायल, IIT खड़गपुर के पूर्व छात्र, श्री वीरेंद्र जेटली के सवालों का जवाब देते हैं, आधुनिक, कॉर्पोरेट, व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर, IIT के कई अन्य अन्य लोगों द्वारा उठाए गए सवालों को भी स्पष्ट करते हैं जिन्होंने ‘भगवद् गीता का व्यवसाय प्रबंधन में प्रासंगिकता’ से जुड़े इस Q और A सत्र में भाग लिया।
हरे कृष्ण।
कर्म योग, गीता का पूरे विश्व को और मानव मात्र को दिया गया, वह अनुपम उपहार है जिससे प्राणी मात्र अपना और अपने परिवार देश समाज एवं विश्व का कल्याण कर सकता है।
कर्म योग वह गुप्त और रहस्यमयी विद्या है, जिस का विशद वर्णन भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद भगवत गीता में करते हैं।
कर्म योग का वर्णन, जैसा गीता में किया गया है, वैसा विश्व के अन्य किसी भी धर्म अथवा ग्रंथ में नहीं।….
भगवद् गीता एक धार्मिक पुस्तक नहीं है। यदि मानव प्रकृति में जीवन रूपों में से एक के रूप में सर्वशक्तिमान ईश्वर की रचना है, तो भगवान गीता मनुष्यों के लिए अपने जीवन के माध्यम से खुद को संचालित करने के लिए मैनुअल है, जिसे कृष्ण ने अर्जुन द्वारा सवालों के जवाब के रूप में कहा है। भगवद् गीता से उद्धृत, श्री भूपेंद्र तायल, IIT खड़गपुर के पूर्व छात्र, श्री वीरेंद्र जेटली के सवालों का जवाब देते हैं, आधुनिक, कॉर्पोरेट, व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर, IIT के कई अन्य अन्य लोगों द्वारा उठाए गए सवालों को भी स्पष्ट करते हैं जिन्होंने ‘भगवद् गीता का व्यवसाय प्रबंधन में प्रासंगिकता’ से जुड़े इस Q और A सत्र में भाग लिया।
Enemies- have you ever noticed the pronunciation of this word? The first letter of this word is Silent “E”. Who…
When God was getting bored being alone He created the universe. God created men for His own sake. The world might have been created for man’s benefit but man has been created for His own sake.
How do we know this?
Life is like a maze, where we have to find the easiest way to achieve the target and most important…