Bhagavad Gita 2.19: Verse 19
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम् ।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥2.19॥
भावार्थ - Gist
जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी द्वारा मारा जाता है॥2.19॥
Both of them are ignorant, one who holds the soul as, the slayer and the other who considers it, as slain; for the soul, neither slays, nor is slain.

व्याख्या - Explanation