Bhagavad Gita 2.27: Verse 27
जातस्त हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च ।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ॥2.27॥
भावार्थ - Gist
क्योंकि इस मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे हुए का जन्म निश्चित है। इससे भी इस बिना उपाय वाले विषय में तू शोक करने योग्य नहीं है॥2.27॥
Death is sure of him who is born, and rebirth is assured of him ho is dead. You should not, therefore, grieve over the inevitable.

व्याख्या - Explanation